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Saturday, September 01, 2007

Movie Review: Ramu ki Aag

फिल्म : रामू की आग
रामू बनाया हैं
बहुत लोग बजाया हैं

सबसे पहले माहौल बनने के लिए ये क्लिप देखे राजू श्रीवास्तव का :

http://www.youtube.com/watch?v=ZoSEG4p4q0o

रामू बनाया हैं और बहुत सरे लोग बजाया हैं. बिना भूमिका बनाए फिल्म का स्टोरी बताते हैं, रामू बनाया हैं और बहुत सरे लोग बजाया हैं, १ बहुत बड़ा भाई हैं बब्बन सिंघ, वो अपने भाई से बहुत प्यार हैं, बब्बन भाई कि दुश्मनी हो जाती हैं नरसिम्हा थानेदार से। थानेदार साहब २ आदमी लाते हैं वीरू और जय , माफ़ कीजिये, हीरु और राज। दोनो चोर हैं लेकिन दिल के अछे हैं। थानेदार साहब के साथ मिल कर बब्बन सिंह को मार दिया जाता हैं। लेकिन साथ ही इस ज़ंग में जय को माफ़ कीजिये राज को अपनी जान चली जाती हैं।

रामू बनाया हैं और बहुत सरे लोग बजाया हैं, क्या ख़ाक बनाया हैं। ये रमेश का शोले हमारे अन्दर इतना घुसा हुआ हैं कि गब्बर सिंह माफ़ कीजिये, बब्बन सिंह को क्या dialog बोलना चाहिऐ, वो हमे बताना पड़ता था। वैसे कुछ लोगो का रोल ज्यादा कर दिया हैं और कुछ को तो ग़ायब ही कर दिया हैं।

रामू बनाया हैं और बहुत सारे लोग बजाया हैं, बहुत ही गन्दा बजाया हैं, बजाया तो बर्मन ने था रमेश के शोले में। महबूबा महबूबा हेलन जी से करवाया था, यहा महबूबा महबूबा करवाया भी तो उर्मिला से क्योंकि मल्लिका को तो हिमेश पहले ही महबूबा महबूबा करवा चुके थे।

रामू बनाया हैं और बहुत सारे लोग बजाया हैं, फिल्म देखकर ये ही लगा कि रामू जो बनाया हैं, अपनी जिद में बनाया हैं , सुना हैं कि रामू जी आजकल ये ही पूछते रहते हैं थिएटर वालो से, "कितने आदमी थे"? और सुना हैं कि थिएटर वाले भी वीरू और जय को हायर करने के लिए निकल गए हैं।



-उपान्शु सिंघल

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