मैसूर यात्रा – मार्च 19 2007
मैसूर देखने कि बचपन से बहुत इच्छा थी, मेरी दीदी 1984 मे गयी थी और ब्रिन्दावन गार्डन की तसवीरे देखकर उसमे से भी रावन जैसे किसी की मूर्ति के आगे वाली तसवीर, और musical fountain के किस्से सुनकर लगा कि मेरी दीदी बहुत हि शानदार जगह हो कर आयी हे, और मै भी एक दिन जाऊन्गा, और ये इच्छा टीपू सुल्तान वाला TV Serial देख और बड़ गयी। जुलाई 2001 मे हम एक सप्ताह के लिये बन्गलोर गये भी थे, लेकिन मैसूर नही जा पाये, बानरघट्टा नेशनल पार्क देख कर ही आ गये।
खैर भय्या, हमारी company ने 1 महीने के लिये कार दी हुई थी, और हमारे Driver सहाब “नागराज” की बहुत इच्छा थी कि हमे कही घुमाये, बोले “मैसूर जाने का है”, हमने कहा, आपने तो हमारे मुह की बात छीन ली, बिल्कुल जाना है। सोमवार 19 मार्च की उगाडी त्योहार की छुट्टी थी, नागराज जी सुबह 9 बजे आ गये, हम 10:30 बजे घर से निकल लिये, करीब 135KM (85 Miles - Man), का सफ़र था, और बन्गलोर - मैसूर Highway बहुत ही शानदार, 4 lanes, शानदार नजारा, मस्त मे 2 घन्टे और 30 मिनट मे पहुच गये।
मैसूर से 10 KM पेहले श्रिरन्गापट्ना Srirangapatna पड़ता है, जो कि टीपू सुल्तान का महल है। नागराज जी बोले कि चलना है, हमने कहा नही, हमारे 1 मित्र ने बोला है कि वहा मत जाना, समय हि खराब करोगे, ये बात सुनकर नागराज को शायद अच्छा नही लगा। श्रिरन्गापट्ना न जाकर हमने क्या खोया, ये मै आगे बताऊन्गा। और सीधे पहुच गये हम मैसूर का महल http://en.wikipedia.org/wiki/Mysore_Palace
मैसूर महल मे जाने के लिये Rs. 40/- का टिकट लगता है, बच्चे का 20/- का। ये महल सही मै महल था, बच्चो को समझाया कि महल क्या होता है, तो सवाल आया कि 1 राजा को रेहने के लिये इतनी बड़ी जगह क्यो चाहिये, तो हमने समझाया कि “1 राजा” का घर परिवार और supporting staff बहुत बड़ा होता था, और बहुत सारे घोड़े हाथी होते थे, इस्लिये। इस्से पेहले कि और कोई सवाल आता, मै बोला “Smile please”. 1 Guard आया और बोला कि जितने तसवीर खीचने है यही खीच लो, महल के अन्दर तो Camera नही लेकर जा सकते। ये सुनकर बहुत बुरा लगा, और कुछ बाहर की तसवीरे खीच कर Camera खजाने मे जमा कराया। अन्दर से महल बहुत सुन्दर और बहुत बड़ा, और काफ़ी जानकारी भी लिखी हुई थी।
हम पूरा महल देख लिये, लेकिन टीपू सुल्तान का कुछ नही मिला। हमने डरते डरते 1 Guard से पूछा कि यहा टीपू सुल्तान कि कोई जानकारी नही है, Guard बोला उसके लिये आपको श्रिरन्गापट्ना जाना पडेगा, हमे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया कि बचपन कि इच्छा तो हम पीछे ही छोड़ आये, हम ने कहा अब यहा क्या देखे, तो वह बोला कि पीछे राजा साहब का Museum है, वो देख सकते है। Museum काफ़ी अच्छा है, और 20/- कि अलग से टिकट लेनि होती है। Museum के बाहर हाथी और ऊँट की सवारी का भी इन्तेजाम है, हमने बच्चो के साथ ऊँट की सवारी करी और गाना गाया। मैसूर महल को देखने मे करीब 2 घंटे लग गये, और भूख लगने लगी थी। मैसूर महल से बाहर निकलने पर काफ़ी सारे Restaurants है, सस्ता भी और मेह्न्गा भी। खाना खाने के बाद, हमने नागराज जी से बोला कि अब ब्रिन्दावन गार्डन चलो, और उन्होने बुरी खबर दी कि ब्रिन्दावन गार्डन कावेरी नदी के विवाद के कारण बन्द है, और ये भी बताया कि सरकार को इस वजह से कितना नुकसान हो रहा है।
ये सुनकर बच्चो कि मुराद पूरी हो गयी, चिड़ियाघर जाने कि, और ये तो हमारे परिवार का Tradition भी रहा है कि अगर किसि शहर मे चिड़ियाघर या Aquarium है तो वहा जरूर जाओ। और हमने सुना भी था कि मैसूर का चिड़ियाघर बहुत अच्छा और बहुत बड़ा है। ये बात सच है, बहुत सारे जानवर, अन्दर पहुच्ते हि जिराफ़ जि के दर्शन हो गये, उसके बाद जिन्दगि मे पेहलि बार सफ़ेद मोर देखा, टाइगर, सफ़ेद टाइगर, हिन्दुस्तानी शेर, अफ़्रीकन हाथी, गुरिल्ला (जो कि हिन्दुस्तान मे सिर्फ़ यही है), और complimentary 1 छोटा सा Aquarium भी। करीब 2 घंटे यहा भी लग गये, और शाम के 6 बज चुके थे, हम वापस निकल लिये बन्गलोर के लिये और साथ मै थी 1 list अगले मैसूर यात्रा कि, जिसमे है श्रिरन्गापट्ना (Srirangapatna), ब्रिन्दावन गार्डन, मैसूर महल रात मै, सुना है कि बहुत हि सुन्दर लगता है और 1 St. Phiilomena’s चर्च।