Aisa hi hoon mein

Friday, April 13, 2007

मैसूर यात्रा – मार्च 19 2007

मैसूर देखने कि बचपन से बहुत इच्छा थी, मेरी दीदी 1984 मे गयी थी और ब्रिन्दावन गार्डन की तसवीरे देखकर उसमे से भी रावन जैसे किसी की मूर्ति के आगे वाली तसवीर, और musical fountain के किस्से सुनकर लगा कि मेरी दीदी बहुत हि शानदार जगह हो कर आयी हे, और मै भी एक दिन जाऊन्गा, और ये इच्छा टीपू सुल्तान वाला TV Serial देख और बड़ गयी। जुलाई 2001 मे हम एक सप्ताह के लिये बन्गलोर गये भी थे, लेकिन मैसूर नही जा पाये, बानरघट्टा नेशनल पार्क देख कर ही आ गये।

खैर भय्या, हमारी company ने 1 महीने के लिये कार दी हुई थी, और हमारे Driver सहाब नागराज की बहुत इच्छा थी कि हमे कही घुमाये, बोले मैसूर जाने का है, हमने कहा, आपने तो हमारे मुह की बात छीन ली, बिल्कुल जाना है। सोमवार 19 मार्च की उगाडी त्योहार की छुट्टी थी, नागराज जी सुबह 9 बजे आ गये, हम 10:30 बजे घर से निकल लिये, करीब 135KM (85 Miles - Man), का सफ़र था, और बन्गलोर - मैसूर Highway बहुत ही शानदार, 4 lanes, शानदार नजारा, मस्त मे 2 घन्टे और 30 मिनट मे पहुच गये।

मैसूर से 10 KM पेहले श्रिरन्गापट्ना Srirangapatna पड़ता है, जो कि टीपू सुल्तान का महल है। नागराज जी बोले कि चलना है, हमने कहा नही, हमारे 1 मित्र ने बोला है कि वहा मत जाना, समय हि खराब करोगे, ये बात सुनकर नागराज को शायद अच्छा नही लगा। श्रिरन्गापट्ना न जाकर हमने क्या खोया, ये मै आगे बताऊन्गा। और सीधे पहुच गये हम मैसूर का महल http://en.wikipedia.org/wiki/Mysore_Palace

मैसूर महल मे जाने के लिये Rs. 40/- का टिकट लगता है, बच्चे का 20/- का। ये महल सही मै महल था, बच्चो को समझाया कि महल क्या होता है, तो सवाल आया कि 1 राजा को रेहने के लिये इतनी बड़ी जगह क्यो चाहिये, तो हमने समझाया कि 1 राजा का घर परिवार और supporting staff बहुत बड़ा होता था, और बहुत सारे घोड़े हाथी होते थे, इस्लिये। इस्से पेहले कि और कोई सवाल आता, मै बोला Smile please”. 1 Guard आया और बोला कि जितने तसवीर खीचने है यही खीच लो, महल के अन्दर तो Camera नही लेकर जा सकते। ये सुनकर बहुत बुरा लगा, और कुछ बाहर की तसवीरे खीच कर Camera खजाने मे जमा कराया। अन्दर से महल बहुत सुन्दर और बहुत बड़ा, और काफ़ी जानकारी भी लिखी हुई थी।

हम पूरा महल देख लिये, लेकिन टीपू सुल्तान का कुछ नही मिला। हमने डरते डरते 1 Guard से पूछा कि यहा टीपू सुल्तान कि कोई जानकारी नही है, Guard बोला उसके लिये आपको श्रिरन्गापट्ना जाना पडेगा, हमे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया कि बचपन कि इच्छा तो हम पीछे ही छोड़ आये, हम ने कहा अब यहा क्या देखे, तो वह बोला कि पीछे राजा साहब का Museum है, वो देख सकते है। Museum काफ़ी अच्छा है, और 20/- कि अलग से टिकट लेनि होती है। Museum के बाहर हाथी और ऊँट की सवारी का भी इन्तेजाम है, हमने बच्चो के साऊँट की सवारी करी और गाना गाया। मैसूर महल को देखने मे करीब 2 घंटे लग गये, और भूख लगने लगी थी। मैसूर महल से बाहर निकलने पर काफ़ी सारे Restaurants है, सस्ता भी और मेह्न्गा भी। खाना खाने के बाद, हमने नागराज जी से बोला कि अब ब्रिन्दावन गार्डन चलो, और उन्होने बुरी खबर दी कि ब्रिन्दावन गार्डन कावेरी नदी के विवाद के कारण बन्द है, और ये भी बताया कि सरकार को इस वजह से कितना नुकसान हो रहा है।

ये सुनकर बच्चो कि मुराद पूरी हो गयी, चिड़ियाघर जाने कि, और ये तो हमार परिवार का Tradition भी रहा है कि अगर किसि शहर मे चिड़ियाघर या Aquarium है तो वहा जरूर जाओ। और हमने सुना भी था कि मैसूर का चिड़ियाघर बहुत अच्छा और बहुत बड़ा है। ये बात सच है, बहुत सारे जानवर, अन्दर पहुच्ते हि जिराफ़ जि के दर्शन हो गये, उसके बाद जिन्दगि मे पेहलि बार सफ़ेद मोर देखा, टाइगर, सफ़ेद टाइगर, हिन्दुस्तानी शेर, अफ़्रीकन हाथी, गुरिल्ला (जो कि हिन्दुस्तान मे सिर्फ़ यही है), और complimentary 1 छोटा सा Aquarium भी। करीब 2 घंटे यहा भी लग गये, और शाम के 6 बज चुके थे, हम वापस निकल लिये बन्गलोर के लिये और साथ मै थी 1 list अगले मैसूर यात्रा कि, जिसमे है श्रिरन्गापट्ना (Srirangapatna), ब्रिन्दावन गार्डन, मैसूर महल रात मै, सुना है कि बहुत हि सुन्दर लगता है और 1 St. Phiilomena’s चर्च।

Tuesday, April 03, 2007

हमारी देश वापसी

हमारी देश वापसी

तो भय्या हम देश वापस आ गये। सफ़र बहुत ही अछा रहा, हवाई जहाज से आये न। Seattle Airport पर बहूत मित्र लोग आये, काफ़ी अन्श्रुपूर्न विदाई रही, 5 साल बाद मित्रो से अलग होते हुए बहुत दुख हो रहा था, लेकिन अमरिका से वापस तो जाना था और हिन्दुस्तान वापस जाने कि खुशी।

तो भय्या हम देश वापस आ गये। और सिर्फ़ हम हि वापस नहि आये, हमारे 1 मित्र अभिशेक और नीतू भी वापस आये। और वापसि सिर्फ़ हमारि नही हुई, वापसी हुई किन्ग खान कि दूरदर्शन पर, वापसी हुई कौन बनेगा … कि, वापसी हुई करमचन्द कि, वापसी हुई कहानी घर घर कि पार्वति कि, वापसि हुई सास भी कभी बहु थी कि दकशा चाची कि, वापसी हुइ close-up अन्तराश्रि कि, वापसी हुई सौरभ गान्गुली कि, सेहवाग का आवन जावन, सचिन का फ़ोर्म मे वापस आना। और ये वापसी का ऐसा चक्कर चला की Team-India विश्व कप से खाली हाथ वापस आ गयी। पाकिस्तान के बाहर होने के बाद हमारे पास विश्व कप का मकसद हि नही बचा था, खेर जाने दिजिये।

तो भय्या हम देश वापस आ गये। दिल्ली मे मौसम थोड़ा सर्द था, और 4 बातो का बाजार गरम था, निठारि कांड, अभिशेक – ऐश्वर्य की सगाई, शिल्पा शेट्टी का इंगलैंड मे अपमान, और भारत विश्व कप मे क्या गुल खिलायेगा। भारत ने आखिर विश्व कप मे गुल तो खिला दिये, लेकिन इन समाचार वालो ने और भूतपूर्व खिलाड़ियों ने खूब पेसा बनाया, ऐसे ऐसे खिलाडी analysis कर रहे थे जो कभी टीम मे होते हुए भी dressing room से बाहर नही निकले, और निकले तो सिर्फ़ पानी पिलाने के लिये। अभिशेक – ऐश्वर्य की सगाई का समाचार वाले पल – पल की खबर दे रहे थे, इतनि कि जितनि बड़े बच्च्न सहाब को भी नही होगी, लाइव केमरे लगा रखे थे, और सब्से तेज खबर देने मे लगे हुये थेइधर इनकी सगाई की चर्चा चल रही थी, उधर अरून – लिज़ शाही शादि कर निकल भी लिये। शिल्पा शेट्टी के अपमान से पूरा भारत और अपमानित मेह्सूस कर रहा था, वैसे पूरे भारत शिल्पा का तो मुझे पता नही लेकिन समाचार वाले सबसे ज्यादा अपमानित थे और सब्से ज्यादा हल्ला मचा रहे थे और खबर बेच रहे थे।

तो भय्या हम देश वापस आ गये। और मौके की नजाकत को समझते हुए हमारे घर वालो ने भी दावत का ऐलान कर दिया, मजाक मजाक मे 2 दावत हो गयी और मजाक मजाक मे सभी लोग आ गये, सभी बहुत खुश थे, और एक ही बात पूछ रहे थे कि अपने देश आकर केसा लग रहा हें । हमारा भी एक ही जवाब कि आप लोगो को बहुत याद आ रही थी तो ज्यादा दिन नही रहा गया। लेकिन एक और सवाल, वापस तो नही जाओगे अब?

तो भय्या हम देश वापस आ गये। बच्चे बहुत मजा कर रहे थे, सभी रिश्तेदारों का आना जाना, हमारा भी आना जाना, जी भर कर KBC, Laughter Challenge, Cricket, और सास भी कभी बहु थी” देखा। 2-3 फ़िल्म भी देख ली, क्या शान्दार पिक्चर हाल बन गये हे देश मे, बिल्कुल सोफ़ा माफ़िक बेठ्ने का इन्तेजाम, बच्चो ने तो लेट कर देखा।

तो भय्या हम देश वापस आ गये, और मजाक मजाक में हमारे बंगलौर जाने का समय भी आ गया। बंगलौर पहुच गये, बंगलौर पहुच कर करं एक Seattle वाले मित्र कि बात याद आई, जितने लोग तुझको see off करने आय्न्गे उतने लोग ंगलौर मे लेने नही आयेन्गे, और ये बात सच थी, airport पर receive करने वाला सिर्फ़ car driver था। ंगलौर का Traffic जैसा सुना था, उस्से थोड़ा कम खराब था, शायद हमारी expectations ज्यादा थी, या हम drive नही कर रहे थे। बंगलौर का मौसम मस्त था, Traffic सुस्त था और Pollution जबर्दस्त था।

तो भय्या हम देश वापस आ गये, ओफ़िस जोइन कर लिया, पुराने साथियो से मिले, Manager से मिले, पेहले दिन ही तकरार हो गयी, वो बोला Laptop लो हमने कहा Desktop with 20 inch Monitor दो, लेकिन Manager तो Manager होता हें। Cubicle देखकर बहुत निराशा हुई, बहुत छोटा, window cube कि बहुत याद आई। खेर हमने मौका देख कर दो Cubicle हथिया लिये, Manager ने पूछा दो किस लिये, हमने कहा दूसरा Desktop with 20 inch Monitor के लिये।

तो भय्या हम देश वापस आ गये, काम धीरे धीरे चल रहा हे, बिवी, बच्चे भी आ गये हे, अब बेटे का स्कूल और रेहने के लिये ठिकाना तलाश मे लग गये हे, आगे कि कहानी, हमारी जबानी, अगले अन्क मे।